राम भजा सो जीता जग में, राम भजा सो जीता।।
हाथ सुमरनी, पेट कतरनी, पढ़त भगवत गीता।।
हृदय शुद्ध किया नहीं बौरे, कहत सुनत दिन बीता।।
ना देव की पूजा किन्ही, गुरु से रहा अमीता।।
धन यौवन सब यहीं रहेगा, अंत समय चले रीता।।
बावरिया ने भाँवर डारी, मोह डाल सब कीता।।
कहें कबीर काल धर खैय्हें, जैसे मृग को चीता।।
— गुरु कबीर साहब